
प्रेरक – जंगल की सुरक्षा के लिये समर्पित परिवार
देहरादून (विसंकें). किसी काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक व्यक्ति का संकल्प समाज के लिए प्रेरणादायक बन जाता है. ऐसे ही टिहरी जिले में पौखाल गांव के पास वन विभाग की भूमि पर वर्ष 2000 में मगन सिंह गुसाईं ने जंगल लगाने को मुहिम शुरू की थी, उसे अब उनका परिवार आगे बढ़ा रहा है. और यह समाज के लिए भी प्रेरणास्पद है.
सुरड़ीधार तोक में 75600 वर्ग फीट भूमि पर मगन सिंह द्वारा रोपे गए पौधे आज क्षेत्र को जंगल का रूप दे चुके हैं. वर्ष 2017 में मगन सिंह के निधन के बाद उनके परिवार ने जंगल के संरक्षण की जिम्मेदारी ली. परिवार का हर सदस्य न केवल जंगल की देखभाल करता है, बल्कि अपने जन्मदिन पर यहां पौधे भी लगाता है.
मगन सिंह वर्ष 1997 में राजकीय इंटर कॉलेज पौखाल से दफ्तरी के पद से सेवानिवृत्त हुए. लेकिन, घर बैठना गवारा न हुआ. पेड़-पौधों के प्रति बचपन से ही लगाव था, इसलिए सेवानिवृत्ति के बाद सबसे पहले पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा से मुलाकात की. उन्होंने मगन सिंह को प्रकृति को संवारने के लिए प्रेरित किया. बस! फिर तो मगन सिंह ने शेष जीवन पर्यावरण संरक्षण को ही समर्पित कर दिया. वर्ष 2000 में उन्होंने वन विभाग की भूमि पर सुरड़ीधार तोक में पौधे रोपने की शुरूआत की. स्वयं के संसाधनों पर उन्होंने यहां सिंचाई के लिए एक भूमिगत टैंक का निर्माण भी किया. इसी पानी से वो पौधों की सिंचाई करते थे.
वन विभाग के सहयोग से उन्होंने जंगल को कभी आग से नुकसान नहीं पहुंचने दिया. चार वर्ष पूर्व जब मगन सिंह का निधन हुआ तो उनके परिवार ने जंगल के संरक्षण का बीड़ा उठाया. परिवार के सदस्य बच्चों की तरह पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं. कोई भी पर्व-त्योहार हो, वे यहां पौधे रोपना नहीं भूलते. इसके लिए कई बार पौध वन विभाग ही उपलब्ध करवाता है.
सुरड़ीधार तोक में 20 साल पहले जो देवदार, पंइया, काफल, बेलपत्र आदि के पौधे रोपे गए थे, इनसे क्षेत्र धीरे-धीरे मिश्रित जंगल का रूप ले रहा है. अब मगन सिंह के परिवार के अलावा वन विभाग के कर्मी भी इनकी रेख-देख करते हैं. पेड़ों को आग से बचाने के लिए हर साल पिरुल (चीड़ की पत्ती) को हटाने के लिए अभियान चलाया जाता है. ग्रामीणों के मवेशी या जंगली जानवर पेड़-पौधों को नुकसान न पहुंचाएं, इसके लिए जंगल के चारों ओर वन विभाग के सहयोग से कंटीले तारों की बाड़ भी लगाई गई है.
मगन सिंह के पुत्र शीशपाल सिंह गुसाईं ने घर के आस-पास भी पौधे लगाए हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने वर्ष 2007 में की थी. बकौल शीशपाल, ‘पिताजी कहा करते थे कि पेड़ धरती के वस्त्र हैं. यह हमारी हर जरूरत पूरी करते हैं, इसलिए इनका संरक्षण जरूरी है. हमारा परिवार अपने सामर्थ्य के अनुसार पिताजी के सपने को पूरा करने में जुटा है. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जमीनी स्तर पर कार्य होना चाहिए. तभी पर्यावरण संरक्षण के प्रयास फलीभूत हो पाएंगे
कोको रोसे (प्रभागीय वनाधिकारी, टिहरी वन प्रभाग) का कहना है कि मगन सिंह गुसाईं के परिवार ने समाज के सामने प्रकृति की सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है. वन विभाग इस प्रेरणादायी कार्य में गुसाईं जी के परिवार का पूरा सहयोग कर रहा है और आगे भी करता रहेगा.