पौराणिक मान्यताये :
मान्यता 1: अश्विन कुमार भगवान सूर्य (सूर्या देव की आरती) और माता संज्ञा के दो पुत्र हैं। इनका नाम नासत्य और दस्त्र है लेकिन अश्व यानी कि घोड़ी से उत्पत्ति होने के कारण इनका नाम अश्विन कुमार पड़ा। सूर्य के ये दोनों पुत्र देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। मान्यता है की अश्विनी कुमारों ने यज्ञ में कटे अश्व के सिर को पुनः जोड़ दिया था।
मान्यता 2: अश्विन कुमारों को आयुर्वेद का सर्वोच्च ज्ञान है और जो भी व्यक्ति इनकी पूजा-अर्चना करता है उसे बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।अश्विन कुमार का एक दिव्य मंत्र है:
ये मंत्र इस प्रकार है;
ॐ अश्विनी कुमाराय नमः।।
इस मंत्र के जाप से व्यक्त को 5 प्रकार की बीमारियों से निजात मिल सकती है।
पौराणिक विधि :
एक कटोरी में सरसों का तेल लें। उस तेल में गुलाब की पंखुड़ियां मिलाएं। गुलाब की 21 पंखुड़ियां मिलानी हैं। इन 21 पंखुड़ियों को मिलाते समय अश्विन कुमार के मंत्र का जाप करना है। यानी कि 21 पंखुड़ियों पर 21 बार मंत्रोच्चार। फिर इस तेल को शरीर पर लगाना है।
ऐसा रात के समय करना है और अगले दिन सुबह स्नान कर लेना है।
अश्विनि कुमार के मंत्र जाप से दवा लगनी शुरू हो जाती है और बीमारी में आराम मिलने लगता है।ये बीमारियां इस तरह से है:
•मंत्र जाप से चर्म से छुटकारा मिलता सकता है।
• इस मंत्र का जाप अगर आप रोजाना करेगे तो आपको मानसिक तनाव से निजात मिल जाएगी।
• कमजोर हड्डियां: इस मंत्र का जाप आपकी कमजोर हड्डियों को मजबूत करता है।
• कान से जुड़े रोग: अगर इस मंत्र के जाप से कान से जुड़ी परेशानियां भी दूर सकती हैं।
• कमजोर याददाश्त: इस मंत्र के जाप से मेमोरी पॉवर बढ़ती है।
मान्यता 3: वैदिक साहित्य में अश्विनी कुमारों कुछ मूल तत्वों की चर्चा है। इनमें जो तत्व क्षत्र जाति के ना होकर गंधर्व जाति के हैं उन्हें नक्षत्र कहा गया है। नक्षत्रों में अश्विनी पहला नक्षत्र है जिसका स्वामी यक्ष है। यह अश्व या प्राण का सूचक है।
ऋग्वेद के एक प्रसंग के अनुसार राजा खेल की रानी विश्पला अपने पति के साथ युद्ध में लडते हुए जब अपनी जंघा गंवा बैठी तो अश्विनी कुमारों ने उनकी चिकित्सा की और लोहे की जंघा बना कर उन्हें लगाया।
अश्विनी कुमारों को ऋग्वेद में खेती बाडी से जुडा भी बताया गया है।
सभी मान्यताओं और भ्रांतियों की वास्तविकता का विश्लेषण :ये अश्विनि कुमारों की बात पूरी तरह से झूट /गलत नहीं है लेकिन अज्ञानतावश एक नकली कथानक द्वारा नर्क में धकेलने की कोशिश की गई है और वैदिक भावार्थ को छिपाने के लिए इस संदर्भ में भरपूर मिलावट की गई है जिसे दूर करके भावार्थ को समझने की जरुरत है।
आप जानते है की अधिकांश वेद मंत्रों में उपमा अलंकार की भाषा का प्रयोग किया गया है। आइये इसका वास्तविक भावार्थ समझते है ताकि हम भी अश्विनी कुमारो की चिकित्सा से लाभ ले सके।
मान्यता १: वास्तव में ये अश्विनी कुमार कौन है जिनका कथानक के माध्यम से उल्लेख किया गया है ?
क्या ये अश्विनी कुमार असाध्य रोग ठीक करने की छमता रखते है ? क्या मंत्र जाप से बीमारी ठीक होती है ?क्या ये आज भी हमारे पास है ? क्या इन अश्विनी कुमार ३३ कोटि के देवताओ में उल्लेख है ? क्या वेदो में भी अश्विनी कुमारो का उल्लेख है ?
सबसे पहले सही उत्तर समझने के लिए हमको कुछ बाते समझनी चाहिए जैसे की :
१. मंत्र जाप से कोई बीमारी ठीक नहीं होती ,बीमारी को ठीक करने के लिए उसका कारण समझना चाहिए और उपचार करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार कोई भी रोग सिर्फ तीन कारणों से उत्पन्न होता है और वो है, शरीर में वात, पित्त और कफ का घटना या बढ़ना। और ऋतू ,रोगी की आयु ,बीमारी का स्तर, आहार विहार आदि को समझकर चिकित्सा करते है। किसी भी रोग से मुक्ति का उपाय सिर्फ यही है कि वात,पित्त और कफ को शरीर में सम रखा जाय। यदि मंत्र जाप से असाध्य रोग ठीक होते तो अस्पतालों में मरीज नहीं जाते ,यहाँ तक की पण्डे पुजारी भी बीमारी की दशा में डॉक्टर की मदद लेते है। कोरोना ने जब दुनिआ में कोहराम मचाया तो सभी पुजारी ,मंत्र जाप वले गायब हो गए। आर्युवेद में चिकित्सा के लिए औषधि के अतिरिक्त आहार ,विहार ,प्राणायाम, योगासन आदि पर बल दिया है।