मुंबई (विसंकें). जिसका ध्येय निर्धारित हो, आत्मविश्वास अडिग हो, वह व्यक्ति किसी भी चुनौती को पार कर सकता है. वह परिश्रम के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए आगे बढ़ता जाता है. आज जिसकी बात करने वाले हैं, वह लड़की दिखने में तो सामान्य है. लेकिन, परिस्थितियों से हारना या भाग्य मानकर हाथ पर हाथ रखकर बैठना स्वीकार नहीं किया. उसने परिस्थितियों को मात देने का मार्ग अपनाया.
कोंकण के कणकवली तालुका के दारिस्ते दुर्गम गाँव के स्वप्नाली सुतार की यह कहानी है. एसएससी में ९८ प्रतिशत और एचएससी में कॉलेज में स्वप्नाली का मेडिकल शिक्षा प्राप्त करके समाज की सेवा करने का विचार था. स्वप्नाली के माता-पिता खेतीबाड़ी से परिवार का पालन कर रहे हैं, परिवार के लिए पढ़ाई पर इतना खर्च कर पाना मुश्किल था. इसीलिए स्वप्नाली ने पशुवैद्यकीय की शिक्षा लेना पसंद किया. लॉकडाऊन के चलते स्वप्नाली गांव में फंस गयी, मुंबई लौटना मुश्किल था.
यहां कॉलेज के ऑनलाईन लेक्चर्स शुरू हो गए. गांव में जहां फोन का नेटवर्क नहीं, वहां पढ़ाई के लिए इन्टरनेट कहां से आएगा? एंड्रॉइड मोबाईल कैसे लेंगे, यह भी समस्या थी. बड़े भाई ने अपना फोन उसे दिया. पर, नेटवर्क नहीं मिल रहा था. कहीं पर फोन का सिग्नल मिल जाएगा, यह ढूंढते-ढूंढते एक पहाड़ी पर नेटवर्क मिल गया.
नेटवर्क मिल गया और शुरू हो गयी एक यात्रा. कोंकण की गर्मी में एक पर्वत पर पेड़ के नीचे स्वप्नाली ने पढ़ाई शुरू कर दी. सुबह सात बजे से लेकर शाम ७ बजे तक वह वहीं पर रहने लगी. दिनभर फोन यूज़ किया तो चार्जिंग की समस्या. एक शिक्षिका ने उसे पॉवर बैंक उपलब्ध करवाया. गर्मी तो जैसे तैसे निकल गयी, किन्तु बारिश का क्या करें? कोंकण में वर्षा ऋतु का कहर होता है. परन्तु स्वप्नाली पीछे हटने वाली नहीं थी, परिवारजनों ने भी उसकी मदद की. चारों भाइयों ने मिलकर पर्वत पर एक छोटी सी झुग्गी बना दी. आज भरी बारिश में भी छोटी सी झुग्गी में स्वप्नाली की पढ़ाई जारी है. निसर्ग और पशु-पक्षियों के सान्निध्य में 12 घंटों की दिनचर्या वैसे ही चल रही है. स्वप्नाली को पढ़ाई के आगे कुछ भी नहीं सूझता.
मन में दृढ़ संकल्प हो, और आंखों के सामने केवल लक्ष्य हो तो कठिनाईयां पीछे छूट जाती हैं. स्वप्नाली ने इसे साबित कर दिया है. कहें तो ऐसी युवा पीढ़ी के हाथ में देश का भविष्य सुरक्षित है और कल का उज्ज्वल भारत हमारी आँखों के सामने झलकने लगता है.