अयोध्या. प्राण प्रतिष्ठा के दिन आपा-धापी के बीच एक श्रद्धालु वृद्धा (79 वर्षीय) का पैसों से भरा बैग खो गया. भीड़ को देखते हुए व बैग गुम होने के कारण परिजनों ने बाहर से ही वापिस लौटने के लिए कहा, लेकिन बैग की चिंता छोड़ परिजनों के मना करने के बावजूद प्रभु श्रीरामलला के दर्शन करने को अडिग रहीं. प्रभु श्रीराम की कृपा से उनका बैग भी मिल गया.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मीडिया सेंटर को दी गई जानकारी ……
22 जनवरी को अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रित लोगों में से एक मेरा बेटा श्रीधर वेम्बू, अपनी मां (मेरी पत्नी जानकी), दूसरे बेटे कुमार वेम्बू और मेरी बहू अनुपमा के साथ शामिल हुआ. भगवान श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद, नव प्रतिष्ठित रामलला के दर्शन के लिए द्वार खुले थे. मेरी पत्नी जानकी (उम्र 79 वर्ष) और बेटे श्रीधर ने दरवाजे के माध्यम से गर्भगृह में प्रवेश करने की कोशिश की, जहां लोगों की अभूतपूर्व भीड़ अनियंत्रित थी. आपाधापी में मेरी पत्नी का हैंड बैग खो गया, जिसमें 63,550 रुपये नकद, आधार कार्ड और अन्य सामान था. मेरे बेटे श्रीधर ने उसे अंदर घुसने के लिए मना किया, लेकिन वह इस बात पर अड़ी रही कि उसे भगवान के दर्शन के बाद ही जाना है, दृढ़ संकल्प और भक्ति के साथ, चाहे उसके साथ कुछ भी हो जाए और उसने पभीड़ के बीच साहस किया. फिर उसने एक युवा हिंदी भाषी सुरक्षा गार्ड की मदद मांगी, जिसकी भाषा वह नहीं जानती थी, और गार्ड ने उसकी उम्र का सम्मान करते हुए, उसे भगवान रामलला के पास ले जाने में मदद की और भगवान के उत्तम, हृदय से संतुष्ट दर्शन प्राप्त हुए. इस दरम्यान अपना बैग खो जाने की चिंता नहीं की, बल्कि खुद को समझा लिया कि यह रामलला की इच्छा है.
लेकिन, घटनाओं का यह कैसा चमत्कारिक मोड़? पता चला कि मेरी पत्नी का हैंड बैग किसी स्वामी जी के बैग में चला गया, वह कोई और नहीं बल्कि ज्ञान प्रेमानंदजी महाराज, हरिद्वार, उत्तराखंड थे. स्वामी जी ने जानकारी मिलने पर बैग खोला, मुद्रा और आधार कार्ड पाया, नाम और फोन नंबर नोट किया और तुरंत बैग यूपी पुलिस को सौंप दिया.
तमिलनाडु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने स्थानीय स्वयंसेवकों की मदद से पुलिस से संपर्क किया और एक ऑडिटर मित्र के माध्यम से हैंडबैग की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की.
स्वामी जी ने यह जानने के लिए मेरी पत्नी से फोन पर संपर्क किया कि क्या उन्हें बैग पुलिस से वापस मिल गया है.
ऐसे समय में जब मेरे बेटों और पत्नी ने उम्मीद छोड़ दी थी और नुकसान से लगभग उबर चुके थे, चमत्कारिक रूप से उन्हें पूज्य स्वामी जी के माध्यम से खबर मिली कि यह यूपी पुलिस के सुरक्षित हाथों में है.
यह उनके गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित होने के तुरंत बाद अपने उत्साही भक्त पर रामलला की कृपा का पहला कार्य है. हम वास्तव में उनकी कृपा से प्रभावित हैं और अपने भक्तों को बचाने की उनकी लीला किसी की भी कल्पना से परे है. मैं श्रद्धेय स्वामी जी, आरएसएस स्वयंसेवकों और यूपी पुलिस बल और बैग के साथ नकदी को वापस लाने और सही मालिक को सुरक्षित रूप से सौंपने में उनके समन्वित प्रयासों के लिए अपना धन्यवाद व्यक्त करता हूं. कलियुग में राम राज्य की शुरुआत अयोध्या से हो रही है.
जय श्री राम