लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर धोखे से किए हमले के पीछे चीन के सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल जु किलिंग को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों में तनाव के बीच पांच जून को किलिंग को पश्चिमी थिएटर कमांड की थल सेना का प्रमुख बनाया था।
चीनी मीडिया ने किलिंग को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का उभरता सितारा बताया है। उसे कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को दरकिनार कर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत से लगी सीमा की कमान सौंपी थी। जिनपिंग राष्ट्रपति होने के अलावा केंद्रीय सैन्य आयोग के प्रमुख भी हैं, जो चीनी सेना की सर्वोच्च कमान है। चीन के अखबार साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट ने किलिंग को कमान सौंपे जाने के वक्त सैन्य सूत्रों के हवाले से कहा था कि भारत के साथ तनाव बढ़ने के बीच कड़े फैसलों के लिए पश्चिमी थिएटर कमांड को एक युवा कमांडर की जरूरत है, जो सेना और अधिकारियों को ऐसे संवेदनशील समय में अपने प्रखर नेतृत्व के बलबूते आगे ले जा सके।
हांगकांग में सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग ने कहा था कि किलिंग न केवल भारत-चीन सीमा की चुनौती को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं और बहुत जल्द ही वह चीनी सेना में शीर्ष पद पर होंगे। जिनपिंग द्वारा 2012 में सत्ता संभालने के बाद किलिंग उन चुनिंदा अधिकारियों में से है, जिन्हें तेजी से पदोन्नत कर शीर्ष रैंक में शामिल किया गया। किलिंग चीनी सेना के सबसे ज्यादा अनुभवी अधिकारियों में से एक है और पीएलए की पांच थिएटर कमांड में चार की जिम्मेदारी वह संभाल चुका है। पूर्वी थिएटर कमांड की थल सेना के संचालन के बाद एक साल बाद ही उसे लेफ्टिनेंट जनरल बना दिया गया। पूर्वी थिएटर कमांड के कमांडर के तौर पर किलिंग ने शंघाई, जियांग्सू, झेजियांग, जैसे प्रांतों की सुरक्षा के साथ विवादित पूर्वी चीन सागर की निगरानी की जिम्मेदारी संभाली थी।
लेफ्टिनेंट जनरल किलिंग चीन की एलीट पीएलए फाइटिंग फोर्स 54वीं सैन्य कमान का चीफ ऑफ स्टॉफ रह चुका है। यही सैन्य टुकड़ी 1959 में तिब्बत में हुए विद्रोह को कुचलने और 1989 में थ्येनमान चौक पर प्रदर्शनकारियों के लिए दमन के लिए जानी जाती है। वर्ष 2015 में जिनपिंग ने इस सैन्य कमान को 83वीं आर्मी कार्प्स में विलय कर दिया। चीनी सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में जिन भी सैन्य टुकड़ियों को भेजती है, वे जमीन के साथ हवाई जंग के लिए प्रशिक्षित होते हैं। किलिंग पीएलए के उन अधिकारियों में से है, जिन्हें थल सेना के साथ वायु सेना की कमान संभालने का भी अनुभव है।