
माओवाद-नक्सल प्रायोजित भीमा-कोरेगांव दंगे के मामले में सामने आए दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कौन हैं?

भीमा कोरेगांव दंगे के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर पीके विजयन को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा गया है। एनआईए द्वारा भेजे गए नोटिस को आईपीसी और यूएपीए के कई धाराओं के तहत जारी किया गया।
इससे पहले 28 जुलाई को एनआईए ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर हैनी बाबू को गिरफ्तार किया था।
हैनी बाबू माओवादी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे जीएन साईबाबा को डिफेंड करने के लिए बनी कमेटी का सदस्य है और जीएन साईबाबा द्वारा स्थापित रिवॉल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (RDF) से भी जुड़ा हुआ है।
आरडीएफ नामक यह संगठन लगभग 13 भारतीय राज्य में कार्य करता है। ज्यादातर राज्यों में इसकी सदस्यों और मुख्य नेताओं को गिरफ्तार किया गया है और संगठन को प्रतिबंधित भी किया गया है। इस संगठन के सदस्यों का संबंध माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़ा रहा है।
रिवॉल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट का मुख्य कार्य सशस्त्र बलों के खिलाफ सामान्य जनता को संगठित करना है। यह संगठन देश के कई राज्यों में प्रतिबंधित है।
भीम कोरेगांव – एल्गार परिषद मामला
1818 के भीमा कोरेगांव के युद्ध में पेशवा ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। इस युद्ध में दलित समाज का एक छोटा हिस्सा ब्रिटिश सेना की तरफ से लड़ा था। इसी युद्ध की याद में एल्गार परिषद के नाम से एक कार्यक्रम का 2018 में युद्ध के 200 साल पूरे होने पर आयोजन किया गया।
इस आयोजन के बाद इस पूरे क्षेत्र में भयंकर हिंसा भड़क गई। पूरे क्षेत्र में दंगे हुए। इन दंगों के बाद एनआईए ने अपनी जाँच में माओवादियों के पूरे नेक्सस का खुलासा किया।
देश भर से माओवादी विचार को और नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया गया। सुधा भारद्वाज, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, सोमा सेन, अरुण फरेरा, वर्णन गोंजाल्विस, वरवर राव जैसे लोगों की गिरफ्तारियां हुई।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू का संबंध मणिपुर के माओवादी संगठन कांगकेपाक कम्युनिस्ट पार्टी-मिलिट्री काउंसिल (KCP-MC) से था।
कांगकेपाक कम्युनिस्ट पार्टी-मिलिट्री काउंसिल (KCP-MC) एक प्रतिबंधित माओवादी संगठन है जो उत्तर पूर्व में विशेषकर मणिपुर में सक्रिय है और सरकारी कार्यालयों से जबरन वसूली करने, हिंसक घटनाओं में शामिल रहने और लेवी के मामलों में शामिल है।
KCP-MC मणिपुर, म्यांमार और नेपाल में सक्रिय रुप से अपने ठिकाने हैं। उनके नक्सलियों-माओवादियों के साथ भी गहरे संबंध है क्योंकि वह आपस में हथियारों और गोला बारूद का आदान प्रदान करते हैं। इसके कई गुट है लेकिन मूल संगठन KCP ही है। माओवादी-नक्सली उन्हें बदले में अमोनियम नाइट्रेट प्रदान करते हैं।
हैनी बाबू प्रतिबंधित आतंकी संगठन KCP-MC के सैन्य मामलों के सूचना एवं प्रचार सचिव पंखुबा मीतेई के संपर्क में था।
मणिपुर के अन्य माओवादियों के साथ हैनी बाबू के संपर्क और भी सामने आए हैं। हैनी बाबू और रोना विल्सन ने माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के माओवादी आतंकी नेता पल्लथ गोविंदाकुट्टी के रिहाई के समर्थन के लिए फंड जुटाने का अभियान चलाया था।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के छठवें सबसे खूंखार आतंकी संगठन सीपीआई (माओवादी) से संबंधों के चलते उम्रकैद की सजा काट रहे जीएन साईबाबा को छुड़ाने के लिए हैनी बाबू ने रोना विल्सन, आनंद तेलतुंबड़े, पी वरवर राव और सुरेंद्र गडलिंग के साथ मिलकर एक कमेटी का गठन किया था।