नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने शंभू बॉर्डर (पंजाब और हरियाणा सीमा) को आंशिक तौर पर खोलने का आदेश जारी किया है. न्यायालय ने कहा कि बॉर्डर को महिलाओं और बच्चों के लिए खोल देना चाहिए. इसके अलावा एम्बुलेंस, आवश्यक सेवाओं और स्थानीय यात्रियों की आवाजाही के लिए शंभू बॉर्डर पर सड़क को आंशिक रूप से खोलने की आवश्यकता है. पंजाब सरकार से यह भी कहा है कि वह किसानों से बात करे और उन्हें शंभू बॉर्डर से ट्रैक्टरों को हटाने के लिए राजी करे.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के शंभू बॉर्डर खुलवाने के आदेश के खिलाफ हरियाणा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायालय ने आंदोलनकारियों से कहा कि राजमार्ग वाहन पार्किंग के लिए नहीं हैं. शीर्ष न्यायालय ने प्रदर्शनकारी किसानों पर भी तीखी टिप्पणी की, जो कई महीने से ट्रैक्टरों को लेकर शंभू बॉर्डर पर डटे हैं. न्यायालय ने कहा कि हाईवे ट्रैक्टर, ट्रॉली, खड़ी करने की जगह नहीं है. न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों से एक सप्ताह में पड़ोसी जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया.
पीठ ने शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करने के लिए प्रस्तावित समिति में गैर-राजनीतिक नाम सुझाने के लिए पंजाब, हरियाणा सरकार की सराहना की. न्यायालय ने कहा कि वह शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत करने के लिए गठित की जाने वाली समिति की शर्तों पर संक्षिप्त आदेश पारित करेगा.
सर्वोच्च न्यायालय अब तक इस मामले पर दो बार सुनवाई कर चुका है, एक 24 जुलाई और दूसरी 2 अगस्त को हुई थी. सोमवार को दोनों राज्यों ने सर्वोच्च न्यायालय को नामों की एक सूची सौंपी, जिन्हें न्यायालय द्वारा गठित किए जाने वाले पैनल में शामिल किया जा सकता है ताकि वह प्रदर्शनकारियों और सरकार के साथ बातचीत कर सके.