म्यामां की राजधानी न्या पी टाउ में हाल ही में सम्पन्न हुए बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Co-operation) के सम्मेलन में एक बहुत ही घातक प्रस्ताव पारित हुआ। बैठक में बांलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रस्ताव रखा था कि ग्लोबल वॉर्मिगं का बांलादेश पर बुरा असर पड़ रहा है। दुनिया के तापमान में अगर और एक डिग्री की बढ़ोतरी हुई तो बांलादेश का पांचवा हिस्सा सागर में डूब जाएगा। जिससे तीन करोड़ लोग बेघर हो जाएंगे। इसलिए इन लोगों की जिम्मेदारी बिम्सटेक के सदस्य राष्ट्रों को लेने की गुहार लगाई है। बिम्सटेक के अन्तर्गत भारत, बांलादेश, नेपाल, भूटान, म्यामां, थाइलेण्ड और श्रीलंका हैं। बांलादेश के प्रस्ताव को भारत समेत सभी सदस्य राष्ट्रों ने समर्थन भी किया। लेकिन जमीनी हालात यह है कि इन तीन करोड़ लोगों मे से ढाई करोड़ लोगों का बोझ अकेले भारत को, खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों को उठाना पड़ेगा। बांलादेशियों के लिए सबसे सुरक्षित स्थान अपना देश ही है। क्योंकि बाकी देश बांलादेशियों को अपने देश से भगा देते हैं। इस हालत में सारे बांलादेशियों का बोझ भारत को, खासकर पूर्वोत्तर राज्य असम को उठाना पड़ेगा। क्योंकि उनकी शारीरिक बनावट असम के लोगों से काफी मिलती-जुलती है जिसका फायदा बांलादेशी बखुबी उठा लेते हैं।
गौरतलब है कि अवैध बांलादेशी घुसपैठियों के कारण असम के लोगों को आए दिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अगर वैध रूप से भी बांलादेशियों को असम में बिठाया गया तो पता नही क्या हाल होगा!