सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान मुस्लिम समाज की लामबंदी अब प्रशासन और आम नागरिकों के लिए सरदर्द बन रही है. सीएए विरोधी आंदोलनों के दौरान मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में शाहीन बाग की तर्ज पर सड़क जाम करके आंदोलन हुआ था. इन आंदोलनों में मुस्लिम समाज के मन में जहर भरा गया, भड़काऊ भाषण और नारे रोज की बात बन गयी थी और अब उन्हीं क्षेत्रों से लगातार हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं.
कुछ दिन पहले उज्जैन के बेगमबाग क्षेत्र से खबर आई कि राम मंदिर निधि समर्पण अभियान के निमित्त रैली निकाल रहे लोगों पर घरों से पत्थरबाजी की गई. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि महिलाएं और बच्चे अपने घरों की छत पर जमा पत्थर कार्यकर्ताओं पर फेंक रहे थे. वीडियो यह स्पष्ट कर देता है कि यह कोई अचानक हुई घटना नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित थी. ऐसे में यह सवाल उठना आम हो जाता है कि आखिर कैसे अचानक इतना बड़ा हमला हो गया, जिसमें दर्जनों कार्यकर्ता लहूलुहान हो गए?
इस घटना की जड़ें सीएए विरोधी आंदोलनों से जुड़ी हैं. बेगमबाग उज्जैन का वह इलाका है, जिसमें सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सड़क जाम करने की घटना को अंजाम दिया गया. बड़ी संख्या में लोग महाकाल मंदिर को जाने वाले मार्ग को जाम करके बैठ गए थे. सैकड़ों की संख्या में बैठे लोगों ने ऐलान कर दिया था कि जब तक सीएए कानून वापस नहीं हो जाता, तब तक वह उसी जगह पर बैठे रहेंगे. कोरोना के कारण सीएए विरोधी आंदोलन तो खत्म हो गए, लेकिन अब घटनाएं इशारा कर रही हैं कि उस आंदोलन के दौरान दिमाग में भरी गई नफरत अभी भी अपना काम कर रही है. और इसमें कोई संदेह नहीं कि बीते शुक्रवार को बिना किसी उकसावे के शांतिपूर्ण रैली पर पथराव किया गया.
इंदौर से भी ऐसी ही एक खबर आई. इंदौर के देपालपुर तहसील के ग्राम चंदनखेड़ी में भगवा बाइक रैली पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पथराव किया. पथराव में भी दर्जनों लोग घायल हुए हैं, कई घायलों को गंभीर चोटें आई हैं.
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए गठित न्यास ने यह निर्णय लिया है कि श्रीराम मंदिर का निर्माण समाज के सहयोग से किया जाएगा. इसी निमित्त कार्यकर्ता बाइक रैली निकालकर शहर के सभी गांवों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं, इंदौर के कार्यकर्ताओं की रैली जब चंदनखेड़ी पहुंची तो उन्हें पहले तो गांव के बाहर ही रोक दिया गया, फिर भीड़ ने उन पर पत्थरबाजी की. इंदौर के इस क्षेत्र में भी सीएए विरोधी आंदोलन आयोजित किये गए थे. यहां भी वही हुआ था – जहरीले भाषण, अतिवादी नारे और हिन्दू विरोधी तहरीरें.
कहते हैं कि किसी भी समाज का व्यवहार उसके विचारों से तय होता है, और सीएए विरोधी आंदोलनों के दौरान हवा में घोले गए हिन्दू विरोधी जहर ने विचारों को कितना प्रदूषित कर दिया है कि ये आपको इस बच्चे के वीडियो से पता चल जाएगा.
प्रशासन तो अपना काम कर रहा है, गृहमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “जिस घर से पत्थर आएंगे, वहीं से पत्थर निकाले जाएंगे”, लेकिन इस मानसिकता को कौन निकालेगा. इस जहर को कौन निकालेगा. कौन इस देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को सुरक्षा की गारंटी देगा. इस जहर को निकालना जरुरी है, वरना वो दिन दूर नहीं जब पैदल भी घर से बाहर निकलने पर हेलमेट लेकर जाना पड़ेगा.