पुणे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर जी ने कहा कि हमने अपने अनुभवों के आधार पर विभिन्न जीवनमूल्यों को परिभाषित किया है, लेकिन आधुनिक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए इन संकल्पनाओं का पुनर्मूल्यांकन होना आवश्यक है. सभ्यता से समझौता करते हुए हमने आधुनिक तकनीक को स्वीकार किया है, लेकिन व्यावहारिक संस्कृति के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के समय में मानवी प्रज्ञा की भी आवश्यकता है.
सुनील आम्बेकर जी ने विश्व संवाद केंद्र एवं डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की ओर से फर्ग्युसन महाविद्यालय के एम्फीथियेटर में आयोजित कार्यक्रम में देवर्षि नारद माध्यम पुरस्कार प्रदान किए. इस अवसर पर ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एवं मीडिया’ विषय पर संबोधित किया. डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के नियामक मंडल के अध्यक्ष प्रमोद रावत, विश्व संवाद केंद्र पुणे के अध्यक्ष अभय कुलकर्णी उपस्थित थे. कार्यक्रम में ‘सकाल माध्यम समूह’ के संपादक सम्राट फडणीस, ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ के प्रतिनिधि प्रसाद पानसे और कोल्हापुर स्थित ‘टोमेटो एफएम’ की कार्यकारी निर्माता रसिका कुलकर्णी, तथा ‘मराठी कीडा’ चैनल के निर्माता सूरज खटावकर और प्रशांत दांडेकर को देवर्षी नारद माध्यम पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
सुनील आम्बेकर जी ने कहा कि अस्तित्व के संकट से नहीं, बल्कि लोक कल्याणकारी और सकारात्मक दृष्टिकोण से भारत ‘राष्ट्र’ के रूप में खड़ा रहा है. राष्ट्र यानी भाषा अथवा धर्म के आधार पर राज्यों का संघ यह संकल्पना प्रस्थापित हुई है. लेकिन भारत के रूप में हम इससे अधिक समान सूत्रों के आधार पर एकत्र आए हैं. धर्म, संस्कृति, परंपरा की परिभाषा पश्चिमी दृष्टिकोण से की गई है. नई पीढ़ी को सजग होते हुए इन संकल्पनाओं को चुनौती देनी चाहिए.
सम्राट फडणीस ने कहा, पत्रकारिता वर्तमान में संक्रमण के दौर से गुजर रही है. आधुनिक तकनीक और नई कल्पनाओं का स्वीकार करते हुए पत्रकारिता को प्रयासपूर्वक दिशा देनी होगी.
प्रसाद पानसे ने कहा, पत्रकारिता का मूल्यांकन मीडिया हाउस के साथ-साथ समाज भी करता है.
रसिका कुलकर्णी ने कहा कि रेडियो के माध्यम से भी समाज प्रबोधन का कार्य प्रभावी रूप से किया जा सकता है. इस पुरस्कार के कारण यह जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है.
मीडिया में राष्ट्रीय विचारों की आवश्यकता अभय कुलकर्णी ने प्रतिपादित की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विचारों का जागरण करने का काम विश्व संवाद केंद्र कर रहा है. वैश्वीकरण के दौर में मीडिया में राष्ट्रीय विचारों का रोपण होना आवश्यक है.
कार्यक्रम से पूर्व आम्बेकर ने फर्ग्यूसन कॉलेज परिसर में वीर सावरकर के कमरे में जाकर उनकी मूर्ति को पुष्पमाला अर्पित की. कार्यक्रम के आरंभ में देवर्षि नारद की प्रतिमा का पूजन किया गया. संचालन शिल्पा निंबाळकर ने किया.