30 जून 1999 कारगिल – 6 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर प्वॉइंट 4812 को करवाया मुक्त
मेघालय के शिलॉंग के रहने वाले लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रुम का जन्म 7 मार्च, 1975 को हुआ था. उनके पिता कीशिंग पीटर भारतीय स्टेट बैंक में काम करते थे, जबकि मां बेली नोंग्रुम एक गृहिणी थीं. नोंग्रुम एक ईमानदार और आज्ञाकारी छात्र रहे, एक उत्साही संगीत प्रेमी और स्कूल फुटबॉल टीम के कप्तान थे. वह खुद को फिट रखने के लिए नियमित रूप से फुटबॉल खेलते थे ताकि सेना में भर्ती हो सकें. 1993 में, उन्होंने क्षेत्र के आसपास के छोटे बच्चों को फुटबॉल खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कीव शफ्रांग स्पोर्ट्स क्लब का गठन किया था. राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट नोंग्रुम को 5 सितम्बर, 1997 को जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री की 12वीं बटालियन में नियुक्ती मिली. कारगिल युद्ध शुरू होने पर लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रुम सिर्फ 24 वर्ष के थे. युद्ध में उनकी बटालियन बटालिक सेक्टर में तैनात थी.
प्वाइंट 4812 को मुक्त करवाने की मिली जिम्मेदारी
30 जून, 1999 की रात को, लेफ्टिनेंट नोंग्रुम की यूनिट को बटालिक सेक्टर में प्वाइंट 4812 हासिल करने की जिम्मेदारी दी गई, इस ऑपरेशन में लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रुम को प्वाइंट 4812 के क्लिफ फीचर पर हमले को अंजाम देने का काम सौंपा गया था. दक्षिण पूर्वी दिशा से खड़ी चोटी पर चढ़ना लगभग असंभव था, लेकिन लेफ्टिनेंट नोंग्रुम ने चुनौती को स्वीकार किया. वह खड़ी ढलानों पर चढ़ दुश्मन के बंकरों तक पहुंचने में सफल हुए. लेकिन पाकिस्तानी घुसपैठियों के कारण लेफ्टिनेंट नोंग्रुम और उनकी बटालियन को भारी मोर्टार और गन फायर के रूप में दुश्मन के विरोध का सामना करना पड़ा.
लेफ्टिनेंट नोंग्रुम ने दुश्मन के बंकरों पर फायरिंग और ग्रेनेड दागे और बंकरों में छिपे दुश्मन के 6 सैनिकों को मार गिराया, लेकिन इस दौरान लेफ्टिनेंट नोंग्रुम को कई गोलियां लगीं. गंभीर रूप से घायल, लेफ्टिनेंट नोंग्रुम बचे हुए बंकर में मशीन गन छीनने के प्रयास में पाकिस्तानी सैनिकों से आमने-सामने भिड़ गए. सर्वोच्च बलिदान से पूर्व अपनी अंतिम सांस तक दुश्मन से लड़े, जब तक की युद्ध के मैदान में अपनी चोटों के कारण उन्होंने दम नहीं तोड़ दिया.
महावीर चक्र से सम्मानित
अदम्य साहस दिखाने वाले लेफ्टिनेंट कीशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रुम को मरणोपरांत 15 अगस्त, 1999 को राष्ट्र के दूसरे सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पुरस्कार, महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. अकेले ही 6 दुश्मन सैनिकों को मार गिराने वाले नोंग्रुम ने राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया था. कारगिल विजय दिवस पर, वीर योद्धा का स्मरण करते हैं और नमन करते हैं, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.