लेह. प्रकृति या प्राकृतिक आपदा के समक्ष विकसित से विकसित देश भी बेबस नजर आता है. मजबूर हो जाता है. कोरोना वायरस का संकट हो या अन्य. कुछ दिन पहले अमेरिका में भी यही देखने को मिला. अमेरिका के टेक्सास में कुछ दिन पहले हिमपात के दौरान करीब 34 लाख लोगों का जीवन प्रभावित रहा. कई हफ्तों तक जलापूर्ति भी ठप रही. ऐसी ही परिस्थिति का सामना करते हुए भारत ने एक बार फिर राह दिखाई है.
बर्फ का रेगिस्तान कहे वाले लद्दाख में सर्दियों में न्यूनतम तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस नीचे (माइनस) में चला जाता है. समुद्रतल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित लद्दाख में पानी के पाइप जम जाने से जलापूर्ति ठप्प हो जाती थी. लेकिन, केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन ने प्रकृति की रुकावटों को पार कर नल से लोगों के घर में नियमित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की है. लेह जिले का स्टोक गांव जल जीवन मिशन की सफलता की कहानी सुना रहा है.
लेह में ज्यादातर घरों के आसपास कृषि योग्य जमीन होने, पशुधन रखने (जिन्हें भारी बर्फबारी व सर्दी में घर के बाहर चराने नहीं ले जाते) के कारण जल की खपत लगातार बढ़ती जा रही है. सर्दियों में पूरे लद्दाख में पेयजल की आपूर्ति लगभग ठप्प रहती थी. 348 परिवारों वाले स्टोक गांव (Stoke village Leh) के लोग भी सालों से समस्या झेल रहे थे. गांव में पेयजल के लिए 35 नलकूप थे, लेकिन सर्दी में नदी-नालों में पानी कम हो जाने और पाइप जम जाने से जलापूर्ति बाधित रहती थी. स्टोक में जलापूर्ति को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती थी. जल जीवन मिशन लेह के अधिकारियों ने चुनौती से निपटने का जिम्मा उठाया और तस्वीर बदल दी.
स्टोक के ग्रामीणों के साथ बातचीत के बाद जल जीवन मिशन की टीम गांव में पहुंची. गांव की भौगोलिक परिस्थितियों, भूमिगत जल की उपलब्धता, नदी-नालों से जलापूर्ति सहित सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति को सदाबहार बनाने के विभिन्न उपायों पर चर्चा हुई. अंत में तय हुआ कि क्षेत्र में नियमित जलापूर्ति के लिए इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक ही सही है.
- पाइप जमने से बचाने के लिए जमीन के नीचे गहराई में दबाए गए
- जमी बर्फ के नीचे का पानी (सब-सरफेस वाटर) ओवरहेड टैंक में जमा किया गया
- सौर ऊर्जा की मदद से ओवरहेड टैंक में गर्म रखा गया पानी
- निर्धारित समय पर ओवरहेड टैंक से पानी की सप्लाई की गई, ताकि पानी जमने से बच जाए
इंफिल्ट्रेशन गैलरी तकनीक में सब-सरफेस वाटर (जमी बर्फ के नीचे का पानी) को एक निश्चित जगह तक को लाया जाता है. इसी में फिल्टर के लिए सिस्टम लगा होता है. इसके तहत जलाशय या नदी के निचले हिस्से से यह पाइप जोड़ा जाता है और पानी साफ करके आपूर्ति स्थल तक पहुंचाया जाता है.
जलजीवन मिशन के इंजीनियरों ने गांव में देखा कि सर्दियों में झीलों, नदी और नालों में सतह के ऊपर का पानी जम जाता है, इसलिए उन्होंने सब-सरफेस वाटर (जमी बर्फ के नीचे का पानी) ओवरहेड टैंक में जमा किया. नदी-नालों के भूमिगत जल को सौर ऊर्जा की मदद से ओवरहेड टैंक में पहुंचाया. सौर ऊर्जा की मदद से पानी गर्म रखा जाता है. इसके अलावा गांव में सप्लाई वाले पानी के पाइप को ठंड में जमने व फटने से बचाने के लिए जमीन के तीन से चार फुट नीचे पाइप बिछाए गए. विशेष तौर पर इंसुलेटेड पाइप इस्तेमाल किए गए. इससे पाइप जल्दी ठंडे नहीं होते. इसके बाद निर्धारित समय पर ओवरहेड टैंक में जमा पानी की गांव में सप्लाई की गई, ताकि ठंड में पानी पाइप में चलता रहे और जमने से बच जाए. स्टोक, नंग और फ्यांग गांवों में इसी तरह से जलापूर्ति की जा रही है.
जल जीवन मिशन लद्दाख के इंजीनियर शेरिंग आंगचुक ने कहा कि लद्दाख में जल जीवन मिशन की पूरी परियोजना 362 करोड़ की है. हमारा लक्ष्य वर्ष 2022 तक लद्दाख के हर गांव में नल से जल पहुंचाने का है.
इनपुट साभार – दैनिक जागरण