प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे नृपेंद्र मिश्र ने अयोध्या व आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया
अयोध्या. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार रहे रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्र ने गुरुवार को अयोध्या के विस्तारीकरण के साथ विश्वस्तरीय पर्यटन सुविधाओं का खाका खींच दिल्ली रवाना हुए. अयोध्या सहित गोंडा-बस्ती के सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा करके नोएडा के डीएनडी के तर्ज पर सड़कें, पुल और फ्लाईओवर बनाने के लिए स्थल भी देखे. आधुनिकता के साथ प्रभुराम की नगरी को आध्यात्मिक व सांस्कृतिक भावभूमि से ओतप्रोत बनाने के साथ त्रेतायुग जैसे दृश्यों -प्रकल्पों से सजाने को लेकर दो दिन तक कई चक्रों में चर्चा करके योजना में कई प्रस्तावों पर विचार किया गया. नृपेंद्र मिश्र यह रिपोर्ट सीधे पीएमओ को देंगे.
प्रभु श्रीराम की नगरी को दुनिया की सबसे वैभवशाली और समृद्धशाली नगरी के रूप में विकसित करने के संकल्प को लेकर प्रतिबद्ध हैं. यह बात श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्य शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के समक्ष कही थी. अब तक के सबसे बड़े कार्य योजना को जमीन पर उतारने के लिए योजना बनाने में मंगलवार की सुबह से बुधवार की देर रात तक पीएम मोदी के निर्देश पर आए रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्र जुटे रहे. और वीरवार सुबह दिल्ली वापस चले गए.
बुधवार ठीक 9 बजे सर्किट हाऊस में कमिश्नर एमपी अग्रवाल, डीएम अनुज कुमार झा, नगर आयुक्त व प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विकास सिंह आदि पहुंचे थे. नृपेंद्र मिश्र ने निर्देश दिए कि पहले वे साइट देंखेंगे, फिर प्रेजेंटेशन होगा. इसके बाद राममंदिर बनने के साथ भक्तों की भीड़ बढ़ने पर आवागमन के इंतजाम को लेकर लखनऊ हाइवे के सहादतगंज से श्रीराम जन्मभूमि तक करीब 11 किमी लंबे पहले फोरलेन कॉरिडोर की योजना फाइनल की गई. फिर नृपेंद्र मिश्रा लखनऊ हाइवे के महोबरा से टेड़ी बाजार होकर श्रीराम जन्मभूमि तक एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव को देखा. इसके बाद राम की पैड़ी के पास स्थित फोरलेन सड़क से हनुमानगढ़ी होकर राममंदिर तक की योजना की भी प्रजेटेंशन देखकर स्वीकृति के लिए चयनित करने की हरी झंडी दी.
इसके बाद माझा बरेहटा में प्रस्तावित विश्व की सबसे ऊंची 251 मीटर की प्रभुराम की प्रतिमा की जगह भी देखी. उन्हें 259 भूखंडों के 85.977 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण से लेकर पैडस्टल में बनने वाले डिजिटल लाइब्रेरी सहित राज्यों के गेस्टहाऊस आदि योजनाओं की जानकारी दी गई. यहां सरयू के किनारे रिवर फ्रंट, त्रेतायुग की आध्यात्मिक व धार्मिक कृतियों का चित्रण, लैंडस्केप विकसित कर सिर्फ 5 फीसदी कंस्ट्रक्शन कर बाकी भूभाग में ईको व ग्रीन सिटी बनाने की योजना बताई गई.
माझा बरेहटा, मांझा तिहुरा व मांझा शहनाज गांव की भूमि पर करीब साढ़े सात सौ एकड़ भूमि में आवास विकास परिषद लखनऊ की ओर से अधिग्रहण कर कई उपनगर व व्यावसायिक कांप्लेक्स बसाने की योजना भी साझा की गई.
सीमावर्ती बस्ती व गोंडा के क्षेत्रों में करीब 20 किमी तक अयोध्या के विस्तारीकरण और 35 किमी दूर स्वामीनारायण की जन्मस्थली छपिया तक कॉरिडोर पर चर्चा भी हुई. बाद में प्रेजेंटेशन के दौरान तय हुआ कि इन सभी क्षेत्रों की यातायात सुविधा बेहतर बनाने के लिए नोएडा के डीएनडी की तरह सड़कें, पुल व फ्लाइओवर का प्लान बने.
नृपेंद्र मिश्रा ने अयोध्या को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया. यहां औद्योगिकीकरण के लिए भी कॉरिडोर बने, ताकि उद्योगजगत आकर्षित हो और इंडस्ट्री स्थापित की जाए. अयोध्या का विकास अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर ही होगा, इसके लिए भूमि को देखा गया है, अब कुछ एजेंसियां विकास के लिए परियोजनाएं तय करेंगी.
नृपेंद्र मिश्रा ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बाहर नया शहर तो बस जाएगा, लेकिन मूल अयोध्या के पुराने शहर को उसकी पौराणिकता के साथ इस तरह से विकास का ढांचा तय करें कि लाखों की भीड़ को परेशानी न हो. हर सुख-सुविधा हो, खासकर सड़कें चौड़ी हों, बिजली चौबीस घंटे हो, सड़क किनारे जनसुविधाओं में कोई कमी न हो और शहर एक रंग में चमकता दिखे.