भोपाल (विसंकें). मध्यप्रदेश में लव जिहाद व धोखे से धर्मांतरण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लाए जा रहे धर्म स्वतंत्रता विधेयक-2020 को आज कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी. बिल में सजा के प्रावधाओं को सख्त बनाया गया है. शनिवार को सीएम आवास पर कैबिनेट की बैठक में ड्राफ्ट को हरी झंडी मिली. 28 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बिल को पेश किया जाएगा. इससे पहले मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी कानून को सख्त करने की बात कह चुके हैं.
बिल की विशेष बातें
– जबरन धर्मांतरण या विवाह करवाने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.
– धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा.
– बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा. यह अपराध गैर जमानती होगा.
– धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.
– सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा. उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी.
– इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह करवाने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा.
– बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.
– इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
– अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
– पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान किया गया है. – – आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा.