
इस बार लोकपर्व हरेला 17 जुलाई यानी आज से शुरू हो रहा है. पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं. पर्व पर लोग भगवान शिव के परिवार की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में ऋतुओं के अनुसार कई त्योहार मनाए जाते हैं, ये त्योहार यहां की परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखे हुए हैं. हरेला का शाब्दिक अर्थ होता है हरियाली. श्रावण मास में हरेला का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह महीना भगवान शिव का विशेष महीना होता है.
16 जुलाई रविवार को शाम को डेकर पूजन के साथ साथ 17 जुलाई सोमवार यानी आज से पर्व का आगाज हो रहा है. हरियाली और प्राकृतिक संरक्षण संवर्धन के प्रतीक इस पर्व के मौके पर लोगों द्वारा अपने इष्ट देवता और मंदिरों में हरेला चढ़ाने का परंपरा है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में ‘जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पौधे लगाए। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में ‘जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पौधे लगाए। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों एवं वन पंचायतों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी और सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि हरेला पर्व सुख, समृद्धि, शान्ति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व सामाजिक सद्धभाव का पर्व एवं ऋतु परिर्वतन का भी सूचक है।