नई दिल्ली. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने परीक्षा प्रणाली में व्यापक सुधारों की माँग की है. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रतियोगी परीक्षाओं के राष्ट्रीय संयोजक देवेंद्र सिंह ने कहा कि सीयूईटी – यूजी परीक्षा की उत्तर कुंजियों (आंसर-की) में आई विसंगतियां अत्यंत गंभीर हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं के संरचनात्मक दोषों को रेखांकित करता है. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने सदैव जोर देकर सुधारों की मांग की है और अपनी ओर से विकल्प प्रस्तावित किये हैं.
उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम यह विचार करना आवश्यक है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़कर देश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों को सीयूईटी – यूजी व पीजी परीक्षा में शामिल करने की आवश्यकता है या नहीं. राज्यों की अपनी परिस्थितियाँ हैं, वहाँ के छात्रों की अलग अपेक्षाएं हैं एवं राज्य विश्वविद्यालय एवं निजी विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम, विभिन्न कोर्स की उपलब्धता, संसाधनों की उपलब्धता भी अलग अलग है. देश की विविधता, विशाल जनसंख्या, अंतर विश्वविद्यालय विभिन्नता आदि को दृष्टिगत करते हुए पूरे देश के विश्वविद्यालय सिस्टम हेतु एक ही परीक्षा का विकल्प विवेक सम्मत नहीं होगा.
देवेंद्र सिंह ने कहा कि जहाँ तक त्रुटिपूर्ण उत्तर कुंजियों का प्रश्न है, इस पर परीक्षा लेने वाली संस्थाओं को गंभीर आत्ममंथन करना चाहिए कि क्यों वह संसाधनों के होते हुए 100-50 प्रश्नों के ठीक-ठीक उत्तर नहीं दे पाती. यह भी सोचना चाहिए कि किस प्रकार विद्वान एवं समर्पित प्राध्यापकों को प्रश्न निर्माण के कार्य में सम्मिलित किया जाए.
त्रुटिपूर्ण उत्तर कुंजियों की समस्या संघ लोक सेवा आयोग से लेकर राज्यों के स्टाफ सिलेक्शन कमिशन तक व्याप्त है. अतः देशभर के विद्वान प्राध्यापकों हेतु प्रश्न पत्र निर्माण एवं परीक्षा प्रक्रिया में ड्यूटी सेवा का अनिवार्य भाग बनाया जाए तथा प्रश्न पत्र निर्माण, प्रतियोगी परीक्षा की कॉपी की जांच, साक्षात्कार पैनल में भागीदारी को सेवा / ड्यूटी का अपरिहार्य अंग घोषित कर सेवा नियम में सम्मिलित किया जाना चाहिए. प्रश्न पत्र निर्माण की योग्यता कौन रखता है, कौन नहीं, इसके मानकों में भी अलग-अलग संस्थाओं में बहुत अंतर है. इस पर भी विचार कर परीक्षा प्रणाली के अनुरूप पुराने पड़ चुके मानकों का पुनर्निर्धारण होना चाहिए. योग्यता प्राप्त प्राध्यापकों, अन्य विशेषज्ञों, सेवानिवृत्त विद्वानों को भी वस्तुनिष्ठ प्रश्न बैंक के निर्माण में योगदान देने का समुचित अवसर दिया जाना चाहिए.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने परीक्षा व्यवस्था, प्रश्न पत्रों के स्तर, परीक्षा आयोजन में रही कमियों, छात्रों की समस्याओं आदि के बारे में शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों से निरंतर फीडबैक की एक प्रणाली पर पुनर्विचार करने हेतु माँग की है. साथ ही समग्र रूप से परीक्षा प्रणाली की समय-समय पर देश के विख्यात एवं उस व्यवस्था की गहरी समझ रखने वाले विद्वानों द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए. जिससे रातों-रात किसी क्रांतिकारी बदलाव की जगह स्वाभाविक रूप से विकसित होकर अनुकरणीय बन सकें.