प्रयागराज. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रचार टोली के सदस्य मुकुल कानितकर ने कहा कि रक्षाबंधन का पावन पर्व धर्म, संस्कृति तथा राष्ट्र की रक्षा के संकल्प का पावन पर्व है. यह राष्ट्रीय कर्तव्य के स्मरण का पर्व है. इसे संकल्प पर्व के रूप में ही मनाएं. मुकुल जी बुधवार को प्रयागराज के प्रयाग संगीत समिति में आयोजित रक्षाबंधन उत्सव को सम्बोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि भारत कहता है कि हम ईश्वर तक पहुंचने के सभी मार्गों का सम्मान करते हैं. इसीलिए विश्व को हिंसा से बचाने में हिन्दुत्व ही समर्थ है. आज विश्व में परिवार बिखर रहे हैं, जबकि भारत में परिवार का रूप बदल रहा है. परिवार प्रणाली भारत की विश्व को अनमोल देन है. विकसित देशों में विवाह से अधिक तलाक होते हैं. हमारी भारतीय भाषाओं में तलाक शब्द है ही नहीं.
उन्होंने कहा कि हमारे लिए पूरी वसुधा ही कुटुंब है. गाय माता है तो बिल्ली मौसी है. चन्दा मामा है. धरती चांद को राखी बांधती है. पूरे भारत में बिना संबंध के किसी को नहीं पुकारा जाता. सभी से आत्मीयतापूर्ण संबंध है. विश्व को समरसता के साथ जीवन जीने का मार्ग सिखाने के लिए हमारा जन्म हुआ है. हिंसा और आतंक से ग्रस्त पूरे विश्व को भारत ही शांति एवं समरसता की राह दिखा सकता है क्योंकि भारत अनादिकाल से विश्व गुरु की भूमिका निभाता आ रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाना नहीं है, जून 2015 में ओंकार ध्वनि के साथ विश्व के 115 देशों ने योग दिवस पर एक साथ सामूहिक सूर्य नमस्कार कर भारत के वैशिष्ट्य को स्वीकार करते हुए विश्व गुरु के रूप में अपनी मान्यता दे दी है. विश्व की सारी समस्याओं का निदान हिन्दुत्व है. हिन्दुत्व को पुनः प्रतिस्थापित करने का हमें संकल्प लेना होगा.
राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कहा कि रक्षाबंधन का पर्व सामाजिक समरसता और मेलजोल का पर्व है. यह हमें मिलजुल कर रहना सिखाता है. सब में एक ही चैतन्य का निवास है. इसकी शिक्षा भी हमें भारतीय परंपरा से मिलती है.
मंच पर काशी प्रान्त संघचालक डॉ. विश्वनाथ लाल निगम, विभाग संघचालक प्रो. कृष्ण पाल सिंह उपस्थित रहे.