उज्जैन (विसंकें). महाकालेश्वर मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान लगभग 1000 साल पुराने परमार कालीन मंदिर के अवशेष मिले हैं. इसके बाद वहां चल रहे खुदाई कार्य को रोक दिया गया और पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रातः सती माता मंदिर के पीछे सवारी मार्ग पर खुदाई का कार्य जारी था, इसी दौरान आधार मिलने पर खुदाई कार्य रोक दिया गया. विक्रम विश्वविद्यालय की प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. रामकुमार अहिरवार ने जांच करके बताया कि मिले अवशेषों पर दर्ज नक्काशी परमार कालीन ज्ञात होती है. इसके बाद मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास ने बताया कि मुगल काल में मंदिर को नष्ट किया गया था, जिसके बाद मराठा शासकों के काल में मंदिर निर्माण का कार्य कराया गया था और मंदिर तोड़ते समय मंदिर का प्राचीनतम हिस्सा दब गया था.
मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने अपने बयान में कहा कि खुदाई में पाषाण के स्ट्रक्चर मिलने के बाद काम रोक दिया गया है. विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद डॉ. रमन सोलंकी ने बताया कि खुदाई में मिले अवशेष राजा भोज के समय के हो सकते हैं. राजा भोज ने महाकाल मंदिर पर निर्माण कराया था. बाहरी शासकों द्वारा महाकाल मंदिर को कई बार नष्ट किए जाने का इतिहास में उल्लेख भी मिलता है. महाकालेश्वर मंदिर का वर्तमान स्वरूप सन् 1732 में सिंधिया राजवंश के रामचंद्र शेंडवी द्वारा बनवाया गया था. खुदाई में संभावना है कि विक्रमादित्य कालीन अवशेष भी प्राप्त हों.