नई दिल्ली. वर्ष 2020 के लिए प्रतिष्ठित प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार चयन समिति ने वैशाली (बिहार) के मनीष कुमार को प्रदान करने की घोषणा की है. उन्हें यह पुरस्कार “युवाओं को स्थायी जैविक और बहु-प्रचलित खेती के सफल मॉडल की ओर आकर्षित करने एवं युवाओं के कौशल विकास प्रशिक्षण द्वारा ग्रामीण रोजगार सृजन करने” हेतु दिया जा रहा है. नागपुर में आयोजित होने वाले अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा.
यह पुरस्कार दुनिया के सबसे बड़े छात्र संगठन अभाविप के शिल्पकार कहे जाने वाले प्रा. यशवंतराव केलकर के नाम पर दिया जाता है. उनकी स्मृति में यह पुरस्कार 1991 से प्रतिवर्ष दिया जा रहा है. विद्यार्थी परिषद तथा विद्यार्थी निधि न्यास का संयुक्त उपक्रम है, जो शिक्षा और छात्रों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है.
मनीष कुमार को वर्ष 2020 का युवा पुरस्कार दिनांक 25- 26 दिसम्बर 2020 को नागपुर (विदर्भ) में होने वाले अभाविप के 66वें राष्ट्रीय अधिवेशन में यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार वितरण समारोह में प्रदान किया जाएगा. विभिन्न समाज उपयोगी कार्य करने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्य को प्रोत्साहन देने हेतु समाज के सम्मुख लाना, ऐसे युवाओं के प्रति समूचे युवा वर्ग की कृतज्ञता प्रकट करना और देश के सभी युवाओं में ऐसे काम करने की प्रेरणा उत्पन्न करना, इस युवा पुरस्कार का प्रयोजन है. पुरस्कार में रु. 1,00,000/- की राशि, प्रमाण पत्र एवं स्मृतिचिन्ह समाविष्ट है.
बिहार के वैशाली के मूल निवासी मनीष कुमार का बचपन बिहार के विभिन्न शहरों में बीता. वे अपने पैतृक गांव प्रायः अपने परिवार के साथ जाते थे. सन् 2010 में आईआईटी खड़गपुर से परास्नातक (इंटिग्रेटेड मास्टर्स) की शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत उन्हें अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी का प्रस्ताव प्राप्त हुआ, उन्होंने नौकरी के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर अपनी ऊर्जा को ग्रामीण विकास कार्यों पर केन्द्रित किया. उन्होंने गांवों को समृद्ध तथा आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से जैविक कृषि तथा कृषि आधारित सर्वग्राही ग्रामीण विकास पर केन्द्रित ‘बैक टू विलेज (बी2वी)’ Back To Village (B2V) नामक एक गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) की स्थापना की तथा वर्ष 2010 में किसानों हेतु ‘फार्म एंड फार्मर्स’ (Farm & Farmers) का गठन भी किया.
आज उनके द्वारा ओडिशा झारखण्ड एवं बिहार के कई स्थानों पर विभिन्न मॉडल द्वारा कार्य चल रहा है. जहां एक ओर किसान कृषि संबंधी सामान्य जानकारियों जैसे बीज गुणवत्ता, मिट्टी, जल प्रबंधन या बुनियादी कृषि तकनीक आदि से सामान्यतः अनभिज्ञ हैं, वहीं दूसरी ओर देश का शिक्षित युवा वर्ग खेती-बाड़ी को प्राथमिक वृत्ति के रूप में चुनने को तैयार नहीं दिखता. ‘बैक टू विलेज’ की पहल उन्नत कृषि केंद्र के माध्यम से उपर्युक्त शिक्षित युवा वर्ग को कृषि क्षेत्र से जोड़ने हेतु विभिन्न गांवों के युवाओं व शिक्षित वर्ग का समूह बनाकर उन्हें प्रशिक्षण के साथ ही सहायता भी देकर समुचित आजीविका कमाने हेतु सक्षम बनाया जा रहा है.
उन्नत कृषि केंद्र किसानों को कृषि क्षेत्र में शुरू से अंत तक विभिन्न सेवाएं देकर प्राकृतिक या जैविक खेती को बढ़ावा देने का भी कार्य कर रहा है. ‘बैक टू विलेज’ पहल के तहत, फसल के चयन से लेकर प्रशिक्षण तक तथा फसल निगरानी से लेकर उसकी बाजार तक पंहुच सुनिश्चित करने संबंधी मदद द्वारा मयूरभंज ( उडाला, खूंटा, कपटीपाड़ा), बालासोर (नीलगिरी) तथा पुरी (कनास) के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में रहने वाले 5000 से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं.
मयूरभंज, कोरापुट, कंधमाल के सैकड़ों किसानों को विभिन्न कृषि उत्पादों जैसे कटहल, अदरक, हल्दी, कॉफी, लेमनग्रास, पामारोसा, साल पत्ता, बाजरा तथा देशज बीजों के मूल्य संवर्धन तथा विपणन हेतु प्रशिक्षण दिया गया, साथ ही 75 उद्यमी आदिवासी युवाओं को चिन्हित कर उन्हें कृषि-उद्यमिता कौशल का प्रशिक्षण दिया गया. श्री मनीष कुमार ने शहरी कृषिकरण की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं, उनकी यह पहल शहरी वातावरण जिसमें आवासीय भवन भी कृषि उत्पादन हेतु उपयोग में लाया जा सकता है.