
सांसद अजमल द्वारा संचालित बालगृहों में बच्चों को खिलाया जाता था गाय का मांस
सांसद बदरुद्दीन अजमल द्वारा असम, मणिपुर में संचालित बालगृहों की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने बालगृहों का दौरा किया था. यहां सैकड़ों बच्चे ऐसे मिले, जिनका कोई पंजीकरण नहीं है. यानि वे कहां से आए इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. जबकि बाल संरक्षण गृहों में अनाथ बच्चों को रखा जाता है, बच्चा कौन है, कहां का है इसकी पूरी जानकारी हर जिले की बाल कल्याण सीमिति के पास होती है, वहीं से बच्चों को बालगृह में भेजा जाता है.
दान में मिली गाय को बच्चों के कमरे के सामने बने शिंकजे में लटकाकर जिबह किया जाता था. फिर बच्चों को गाय का मांस खिलाया जाता था. ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि बच्चों को कट्टर बनाया जा सके. पाञ्चजन्य के पास यहां मिले रजिस्टरों के फोटोग्राफ मौजूद हैं.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने बताया कि ”जब हमारी जांच टीम वहां पहुंची तो एक संरक्षण गृह में तुर्की के एनजीओ से फंडिंग की जानकारी मिली, इसके कागज हमें वहां पर मिले. बाकी जगहों पर जब टीम पहुंची तो वहां से जानकारी हटा दी गई. टीम ने जब रजिस्टरों की जांच की तो पाया कि वहां दान में गाय ली जाती है. इसके बाद गाय को बच्चों के सामने जिबह किया जाता है और उसका मांस बच्चों को खिलाया जाता है. संरक्षण गृहों के रजिस्टर में की गई ‘एंट्री’ इसका प्रमाण है. इनमें बताया गया है कि दान में गाय ली गई. फिर उसको खाया गया. बच्चों के कमरे के सामने शिकंजा लगाया गया था. जहां पर लटकाकर गोकशी की जाती थी.”
उन्होंने बताया कि मदरसों से 300 के करीब बच्चे गायब मिले. वे कहां गए इसकी भी जांच किया जाना जरूरी है.
उल्लेखनीय है कि ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल पर बांग्लादेश से अवैध तरीके से आने वाले लोगों को पनाह देने के आरोप लगते रहे हैं. ऐसे में इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि यहां आने वाले बच्चे बांग्लादेश के हो सकते हैं. यहां पर सैकड़ों बच्चे ऐसे मिले हैं, जिनके बारे में किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं है. यदि किसी अन्य संपर्क से भी बच्चा बाल संरक्षण गृह में पहुंचता है तो भी उसकी जानकारी समिति को देना जरूरी होता है, लेकिन इन बालगृहों में ऐसा नहीं पाया गया.
साभार – पाञ्चजन्य