नई दिल्ली. भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) ने भारतीय सेना को 35 हजार AK-203 असॉल्ट राइफल डिलीवर कर दी हैं. इनका उत्पादन 2021 में मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत शुरू किया गया था. राइफल की विशेषता यह है कि यह एक मिनट में 700 राउंड फायर कर सकती है, वजन में हल्की होती है और कभी जाम नहीं होती.
IRRPL ने भारत में AK-203 कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल के प्रोडक्शन के लिए प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा कर लिया है. इसके साथ ही भारत AK-203 सीरीज की असॉल्ट राइफल का उत्पादन करने वाला पहला देश बन गया है.
कलाश्निकोव AK-203 असॉल्ट राइफल भारतीय सेना में उपयोग किए जाने वाले 7.62×39 MM कारतूस के लिए बनाई गई AK-200 राइफल का एक वर्जन है. सेना के अलावा सुरक्षा एजेंसियों को भी AK-203 असॉल्ट राइफलों से लैस किया जाएगा. इसके अलावा IRRPL राइफल को दूसरे देशों में भी एक्सपोर्ट किया जा सकेगा.
भारतीय सेना 1996 से इंसास राइफल का उपयोग कर रही है. अभी तीनों सेनाओं के पास इंसास (इंडियन स्माल आर्म्स सिस्टम) करीब 7 से 8 लाख हैं. इंसास की तुलना में यह राइफल छोटी, हल्की और ज्यादा घातक है. AK-203 का वजन 3.8 किलो है. जबकि इंसास राइफल का वजन बिना मैगजीन और बेयोनेट के भी 4.15 किलोग्राम होता है. इंसास की लंबाई 960 मिलीमीटर, जबकि AK-203 705 मिलिमीटर है.
यह AK-47 सीरीज का एडवांस्ड वर्जन है. ये कभी जाम नहीं होती. भीषण सर्दी, गर्मी, बारिश का भी प्रभाव नहीं होता. वजन और लंबाई कम होने से AK-203 युद्ध के समय सैनिकों के लिए सुविधाजनक होगी. भारतीय सैनिकों को थकान कम होगी.
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सुरक्षाबलों को आवश्यकता के अनुसार हथियार खरीदने की छूट दी. इसके तहत रूस से करीब 25 हजार AK-203 राइफल की पहली खेप आई. बाद में कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में इनका उत्पादन शुरू हुआ. यहां कुल 7 लाख राइफल बनाई जानी हैं, जो पूरी तरह स्वदेशी होंगी.
2021 में भारत-रूस के बीच हुआ था एग्रीमेंट
कोरवा में फैक्ट्री की आधारशिला साल 2019 में रखी गई थी. इसके बाद भारत-रूस ने दिसंबर 2021 में एग्रीमेंट पर साइन किए थे. इसके तहत करीब 1 लाख राइफल रूस से आनी थीं. बाकी 6 लाख AK-203 राइफल का निर्माण कोरवा में चल रहा है.