लखनऊ (मा.स.स.). अयोध्या विवाद के हल होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में काशी-मथुरा विवाद को लेकर भी याचिकाओं का सिलसिला शुरू हो गया है. हिंदू पक्ष की याचिका के बाद अब मुस्लिम पक्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मुस्लिम संस्था जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके हिंदू पु्जारियों की याचिका का विरोध किया है.
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से दाखिल की गई अर्जी में कहा गया है कि हिंदू पुजारियों की याचिका पर नोटिस न जारी किया जाए. मामले में नोटिस जारी करने से मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में अपने पूजा स्थलों के संबंध में भय पैदा होगा. याचिका में अयोध्या विवाद का संदर्भ देते हुए कहा गया है कि इसके अंत के बाद इस तरह की याचिका मुस्लिमों के मन में भय पैदा करेगी. जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने कहा है उसे मामले में पक्षकार बनाया जाए क्योंकि ये मामला राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट करेगा.
सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ ने याचिका दाखिल करके पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को चुनौती दी है. याचिका में काशी-मथुरा विवाद को लेकर कानूनी कार्रवाई को फिर से शुरू करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस एक्ट को कभी चुनौती नहीं दी गई और ना ही किसी कोर्ट ने न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया.
पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 कानून किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाता है. पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के अनुसार देश में 15 अगस्त, 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय का था वो आज और भविष्य में भी उसी का रहेगा. यह कानून 18 सितंबर, 1991 को पारित किया गया था. हालांकि अयोध्या विवाद को इससे बाहर रखा गया क्योंकि उस पर कानूनी विवाद पहले का चल रहा था.